आप कहा चल दीए

अभी अभी तो
महफिल शुरु हुई है
कुछ फरमाए बिना ही
आप कहा चल दीए
कुछ खता हुई हो तो
माफ करना हुजूर
यहा के शायर थोडे बत्तमिज है
आज की शाम आपके नाम है
आप कहा चल दीए
मशवरोंको ऐसे
दिल पे नही लेते
इसपे तो पहलेसेही
काफी ज़ख्म है
बैठीए जरा इनपे
शायरी का मरहम लगाईये
आप कहा चल दीए
देखो यहा हर कोई
जज्बात-ए-दिल फरमाता है
आपसे भी गुजारिश है
यू ना खुदको रोकिए
आप कहा चल दीए
इन चार दिवारियोंके अंदर
हम आपके अजीज है
इसके बाहर तो सभी अजनबी है
जो कहना है कहिए
आज थोडा हद से गुजरिये
आप कहा चल दीए
Written By
Suraj_2310

Comments

Post a Comment

Popular Posts