महफिल-ए-शायरी


Vinit Kadam
Suraj_2310



तेरी खामोशी को
मैंने अपने लफ्जोंसे
बयां कर दिया
तेरी ना कही हुई बातोंसे भी
मुझको प्यार हो गया.
Suraj_2310

अगर इज़हार ना किया
तो आपने कैसे माना प्यार है
चाहत तो उन्हें भी होंगी ग़ालिब
पर दिलबर नहीं एक यार जैसे सही.
Vinit Kadam

हमने कहा ही नहीं
चाहत उसे भी थी
मुक्कमल ना हो सकी
लेकिन, जो कुछ भी थी
आशिक वो मेरी थी.
Suraj_2310

यार और दिलबर में
फरक ना समझ सके तो
लानत मुझपे है
उसकी आखोंकी गुस्ताकियोंपे
हक़ सिर्फ मेरा है
Suraj_2310

आप जैसे आशिक
या आप जैसे हक़ जतानेवाले
तो बोहोत होंगे
जनाब उनसे पूछने की खता कीजिये
की उन्होंने अपना हक़ किसे दिया है.
Vinit Kadam

हुयी हमसे खता
तो क्या की जे
हुयी वफ़ा में बेवफाई हमसे
तो क्या की जे
रहने दो हमे इस बेरुखी में
हो जाये इससे भी प्यार
तो क्या की जे ?
Suraj_2310

हुयी आपसे खता आपसे
तो सुधारने का मोका लीजिये
हुयी वफ़ा में बेवफाई आपसे
तो माफ़ी मांग लीजिये
अगर बेरुखी से भी  हो जाये प्यार
तो जनाब
यार लोगोंकी दोस्ती की दवाई मांग लीजिये.
Vinit Kadam 

ना दवा काम आयी
ना दुआ काम आयी
हमने जो लिखी थी
वो कहानी ना पूरी हो पायी
अब रहने दे इस अधूरी दास्ताँ को
किस्मत ने चाहा तो फुर्सत में लिखेंगे
Suraj_2310




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