महफ़िल-ए-हजल

                                           Sakshi Dixit 


                       उर्दू काव्यत एक प्रकार आहे, त्याला हजल म्हणतात.गजल अणि हजलच्या रचनेत जरी साम्य असल, तरी गजल चा आत्मा प्रेम आहे तर हजल म्हणजे व्यंगात्मक हलकी फुलकी कविता ज्यात फक्त उपरोध आणि बऱ्याच प्रमाणात हास्य विनोद असतो.

दिल में उनके क्या है कोई बताये तो सही,
रास्ते पे पड़ा है रुमाल कोई उठाये तो सही.

दिल क्यों ये मेरा शोर करता है,
ये मेरा दिल है कोई महफ़िल-ए-कव्वाली नहीं,
क्यों धोके के रोकेट उड़ाते हो,
ये normal day है, दिवाली नहीं.

उसकी हर अदा मेरे दिल को भाती है,
बताये तो सही वो दिल में क्या है,
जनता जवाब जानना चाहती है.

हो सकी ना मुकम्मल किसी की
ऐसी कहानी हम लिख जाये,
बस में कुछ ना बोलू और वो
आखें पढ़ना सिख जाये.

जुदाई का फैसला आपके दिल का था
ये कोई मजबूरी नहीं,
हर बस स्वारगेट जाये
ऐसा तो जरूरी नहीं

Beauty lies in its simplicity  
                                                                                                                             






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