Untold Poetry
हम कहा खो गए
हमने तुमसे की जो बातें
हम खो गए
तूने हमसे मिलायी जो आखें
हम खो गए
अब क्या हश्र होगा हमारा
हमें मालूम नहीं
सजा दो गे भी कैसे
हमें ही पता नहीं
हम कहा खो गए
सराहने बैठे हुए तेरे
अब शाम हो गयी
ये वक़्त ठहराजा जरा
हम ढूंड रहे है
इस पल में
हम कहा खो गए
अब खुदसे नफरत होने लगी है
जबसे तुझसे वाकूब हुए है
तेरे गम कहा
मेरी उल्जन्हे कहा
आज ये भी हो गयी है फ़ना
ना जाने
हम कहा खो गए
ये लम्हा रहने दे मेरे पास
फुरसत में पढूंगा इसे
तुझे भी बता दूंगा
अगर पता चले
हम कहा खो गए
ये रात तेरा इंतजार है
आज थोड़ी देर तक बैठेंगे
उजालोमे ना मिले
अंधेरो में ही सही
देख तो लू एक बार
हम कहा खो गए
Suraj_2310
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